• Samvada
  • Videos
  • Categories
  • Events
  • About Us
  • Contact Us
Tuesday, January 31, 2023
Vishwa Samvada Kendra
No Result
View All Result
  • Login
  • Samvada

    ಪ್ರಬೋದಿನೀ ಗುರುಕುಲಕ್ಕೆ NIOS ಅಧಿಕಾರಿಗಳ ಭೇಟಿ

    ಮಾರ್ಚ್ ೧೧ರಿಂದ ೧೩ರವರೆಗೆ ಗುಜರಾತಿನಲ್ಲಿ ಅಖಿಲ ಭಾರತ ಪ್ರತಿನಿಧಿ ಸಭಾ

    Evacuation of Indians stranded in Ukraine by Government of India

    Ukraine Russia Crisis : India abstained from UNSC resolution

    Trending Tags

    • Commentary
    • Featured
    • Event
    • Editorial
  • Videos
  • Categories
  • Events
  • About Us
  • Contact Us
  • Samvada

    ಪ್ರಬೋದಿನೀ ಗುರುಕುಲಕ್ಕೆ NIOS ಅಧಿಕಾರಿಗಳ ಭೇಟಿ

    ಮಾರ್ಚ್ ೧೧ರಿಂದ ೧೩ರವರೆಗೆ ಗುಜರಾತಿನಲ್ಲಿ ಅಖಿಲ ಭಾರತ ಪ್ರತಿನಿಧಿ ಸಭಾ

    Evacuation of Indians stranded in Ukraine by Government of India

    Ukraine Russia Crisis : India abstained from UNSC resolution

    Trending Tags

    • Commentary
    • Featured
    • Event
    • Editorial
  • Videos
  • Categories
  • Events
  • About Us
  • Contact Us
No Result
View All Result
Samvada
Home Articles

भाजपा : उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में

Vishwa Samvada Kendra by Vishwa Samvada Kendra
July 18, 2012
in Articles
250
0
भाजपा : उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में

M G Vaidya

491
SHARES
1.4k
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

READ ALSO

ಮಾತಿನ ಕಠಿಣ ಕ್ರಮ, ಇನ್ನೆಷ್ಟು ದಿನ?

ದೇಶದ ಸುರಕ್ಷತೆಗಾಗಿ ಅಗ್ನಿಪಥ!

by MG Vaidya, RSS Ideologue
July 17, 2012 Nagpur
M G Vaidya
दो राज्यों में की भारतीय जनता पार्टी पिछले कुछ दिनों में चर्चा का विषय बनी थी. एक उत्तर प्रदेश औरदूसरे कर्नाटक में. कारण अलग-अलग थे. घटनाएँ भी अलग-अलग प्रकार की थी. एक घटना सुखद तोदूसरी क्लेशदायक.

उल्लेखनीय विजय
उत्तर प्रदेश में हाल ही में महापौर पद के चुनाव हुए. १२ महानगरों में की १० महापालिकाओं में भाजपा नेसफलता प्राप्त की. उत्तर प्रदेश की दो बड़ी पार्टियॉं (१) समाजवादी (सपा) और (२) बहुजन समाजवादी(बसपा) अधिकृत रूप में चुनाव में नहीं उतरी थी. लेकिन उनकी पसंद के निर्दलीय उम्मीदवार थे और उनउम्मीदवारों को इन पार्टियों ने खुला समर्थन भी दिया था. उन्हें भी अपेक्षित सफलता नहीं मिली. कॉंग्रेसऔर भाजपा ने यह चुनाव पार्टी के चिन्ह पर लढ़ा था. कॉंग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई. भाजपा का कमल१२ में से १० स्थानों पर खिला. कोई कहेगा कि, इसमें विशेष क्या है? इसमें विशेष है. हमारे महाराष्ट्र कीतरह उत्तर प्रदेश में महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष नहीं होता. प्रत्यक्ष चुनाव होता है. मतलब सब मतदाताइस चुनाव में मतदान करते है. इस चुनाव का यह एक महत्त्व का कारण है, कुछ माह पूर्व ही हुएविधानसभा के चुनाव में पहले से भी पिछड़ी भाजपा ने बहुत अच्छी सफलता हासिल की, यह दूसरा कारणहै. विधानसभा के चुनाव में, २००७ में प्राप्त ५१ सिटें भी भाजपा बचा नहीं पाई थी. २०१२ में उसे केवल४७ सिटें मिली. ४०३ में से ४७. इतना ही नहीं, दो सौ से अधिक उम्मीदवारों की अनामत जप्त हुई थी.इस तुलना में महापालिकाओं में की उसकी विजय उल्लेखनीय है.

नेत्रदीपक सफलता
भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों ने हासिल की यह सफलता नेत्रदीपक है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊमें भाजपा ने, प्रतिस्पर्धी कॉंग्रेस के उम्मीदवार को १ लाख ७१ हजार से अधिक मतों के अंतर से पटकनीदी. मुरादाबाद शहर, जहॉं मुस्लिम मतदारों की संख्या बहुत अधिक है, वहॉं भाजपा का उम्मीदवार ७०हजार से अधिक मतों से विजयी हुआ. अलीगढ़ में बसपा समर्थित उम्मीदवार को भाजपा के उम्मीदवार नेकरीब ४२ हजार मतों से पराजित किया; तो गोरखपुर में कॉंग्रेस के उम्मीदवार को ३३ हजार से अधिकमतों से मात दी. अब समाचारपत्र, प्रसार माध्यम और पराभूत राजनीतिक पार्टियॉं विश्‍लेषण कर रही हैकि, मुसलमानों के मत एकजुट नहीं रहने के कारण, भाजपा को यह सफलता मिली. इसका अर्थ स्पष्ट हैकि, सपा, बसपा अथवा कॉंग्रेस की सारी मदार मुस्लिम वोट बँक पर है. यह उनका सौभाग्य है कि,अभी तक हिंदूओं ने अपनी वोट बँक नहीं बनाई. अन्यथा, मुस्लिमों का तुष्टिकरण करने वाली ये पार्टियॉंअपनी अनामत भी बचा नहीं पाती.

कर्नाटक में तमाशा
यह हुई उत्तर भारत की बात; तो उधर दक्षिण में कर्नाटक में पार्टी का सिर शर्म से झुकाने वाला तमाशाहुआ. भाजपा की सरकार बची लेकिन इज्जत गई. पार्टी को भूतपूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने झुका दिया.छह माह पूर्व ही गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने अहंकार के कारण पार्टी को अपने सामनेझुकाया था. अब कर्नाटक के भूतपूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने अपने जातिगत वर्चस्व के बल पर पार्टी कोशर्मसार किया. येदियुरप्पा ने सोचा होगा कि, मोदी पार्टी को झुका सकते है, तो मैं क्यों नहीं? मुंबई मेंकी घटना ने बंगलोर की घटना को निश्‍चित ही बल दिया होगा. पुन: प्रश्‍न वहीं की पार्टी श्रेष्ठ याव्यक्ति? इस प्रश्‍न का निरामय उत्तर भाजपा के श्रेष्ठी दे नहीं पाए, यह खेदकारक है और क्लेशकारकभी.
येदियुरप्पा को पार्टी ने सत्ता से नहीं हटाया था. लोकायुक्त ने उन्हें दोषी माना था इसलिए उन्हें त्यागपत्रदेना पड़ा था. भ्रष्टाचार के आरोप उनके ऊपर थे और कुछ अभी भी है. अभी तक उनकी निर्दोष मुक्ततानहीं हुई है. इसमें पार्टी का क्या दोष है? क्या पार्टी ने उनसे भ्रष्टाचार करने को कहा था? या अपने लड़केऔर दामाद पर विशेष कृपा करने को कहा था? फिर उनको इतना महत्त्व क्यों?

प्रश्‍न
येदियुरप्पा कर्नाटक के लिंगायत समाज के नेता है, इसलिए उनके दबाव में पार्टी झुकी ऐसा बताया जाताहै. क्या इसमें लिंगायत समाज की अप्रत्यक्ष निंदा नहीं? लिंगायतों को, कोई व्यक्ति अपनी जाति की है,इसलिए उसने किया भ्रष्टाचार चलता है, ऐसा निष्कर्ष कोई निकाले तो उसे दोष दे सकते है? औरहिंदुत्वनिष्ठ भाजपा कब से जाति-पाति का विचार कर ऐसे निर्णय लेने लगी, ऐसा प्रश्‍न भी उपस्थितकिया जाएगा. ऐसा बताया जाता है कि, कर्नाटक की भाजपा के अनेक नेता संघ के स्वयंसेवक है. संघ केमतलब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के. क्या यही संस्कार उन्होंने संघ से ग्रहण किए हैं? यह प्रश्‍न केवल मेरेअकेले का नहीं. असंख्य स्वयंसेवकों के मन में का यह प्रश्‍न है. कर्नाटक के एक स्वयंसेवक ने, जो सांप्रतकल्याण में है, मुझे दूरध्वनि करके अत्यंत क्लेशदायक स्वर में यह प्रश्‍न पूछा. मैं क्या उत्तर देता?कर्नाटक के अनेक कार्यकर्ताओं और प्रचारकों को मैं पहचानता हूँ. संघ का प्रचारक मतलब केवल पूर्णकालीनकार्यकर्ता नहीं होता. अपनी सब व्यक्तिगत, भौतिक और पारिवारिक महत्त्वाकांक्षा परे रखकर, उसने राष्ट्रके लिए अपना जीवन समर्पित किया होता है. स्वयं ही अनाम, अप्रकाश रीति से इमारत की नीव में स्वयंको गाड लेता है. क्यों? राष्ट्र मंदिर की सुदृढ इमारत खड़ी रहे इसलिए. वह न प्रसिद्धि की हाव रखता है नपैसों की, न किसी भौतिक सुख की. संघ ऐसे प्रचारकों और व्यक्तियों के ही परिश्रम से खड़ा हुआ है,बढ़ा है.

वास्तव का भान?
करीब देड-दो वर्ष पूर्व भाजपा के एक नेता, जो राज्यसभा के सदस्य है, मुझे मिलने आए थे. विषय था,जनगणना में जाति दर्ज कराने को भाजपा की संमती होने का. चर्चा के प्रवाह में उन्होंने कहा, जातिवास्तव है. मैंने कहा, क्या यह आज का वास्तव है? सन् १९२५ में, डॉ. हेडगेवार जी ने संघ की स्थापनाकी, क्या तब यह वास्तव नहीं था? वे उस वास्तव के जाल में ही फंसे रहना तय करते, तो आज कादुनिया में का सबसे बड़ा संगठन खड़ा हो पाता? कहते है जाति वास्तव है! उस समय तो अस्पृश्यता भीवास्तव थी. क्या संघ उस वास्तव के पास ही रूक गया? उसने सार्वजनिक जीवन में से उसे जड़ से उखाडफेका. किसके भरोसे? हिंदुत्व के भरोसे. हिंदुत्व को हिंदू समाज की जो आंतरिक एकात्मता अभिप्रेत है,उसके आधार पर. पहले जाति पर ध्यान देकर, फिर उसकी भावना समाप्त करने की नीति, संघ नेस्वीकार ही नहीं की. उसने जाति-पाति का, अस्पृश्यता का, भाषा-भिन्नता का विचार ही न कर, समग्र,एकात्म, हिंदू समाज का चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया और वैसी सीख अपने सब कार्यकर्ताओं को दी.जाति अपने आप गौण हो गई. कर्नाटक में संघ किसने शुरु किया? कानडी लोगों ने नहीं. नागपुर से गएकार्यकर्ताओं ने किया. जो कर्नाटक में हुआ, वही तामिलनाडु में, केरल में, पंजाब, दिल्ली और असम मेंभी हुआ. इन कार्यकर्ताओं ने स्थानिक कार्यकर्ता खड़े किए. स्थान-स्थान पर के कार्यकर्ताओं ने हिंदू समाजकी समग्रता का और एकात्मता का विचार सामने रखकर ही यह महान् संगठन खड़ा किया और उससमय, असंभाव्य लगने वाली बात संभव कर दिखाई. स्वयं को संघ का स्वयंसेवक कहना और जाति याभाषा का आधार लेकर सार्वजनिक कार्य करना संघ को अभिप्रेत नहीं.

गलत धारणा
मेर मन में विचार आता है कि, येदियुरप्पा की बात नहीं मानते, तो क्या होता? उनके गुलाम बनें हुएत्यागपत्र देते. फिर क्या होता? भाजपा की विद्यमान सरकार गिर जाती. वहॉं राष्ट्रपति शासन लगता.इतना ही न! लेकिन, पार्टी की गर्दन तनी रहती. सामान्य कार्यकर्ता को भी पार्टी पर अभिमान होता. २०१३के चुनाव में वे जी-जान से भाग लेते; और पार्टी को विजयी करने के लिए प्रयत्नों की पराकाष्ठा करते.लिंगायत समाज में के लोग भी उनके साथ आते. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को यह समझ नहीं आयाइसका मुझे अचरज है. यह भी जाति-पाति का विचार कर राजनीति करने वाली एक पार्टी है, ऐसी अब सबकी धारणा हुई है, यह धारणा पार्टी को शक्ति देगी?

सौदेबाजी का समझौता
कुछ लोगों को निश्‍चित ही समाधान हुआ होगा कि, कर्नाटक में समझौता हुआ. समझौता हुआ यह सहीहै लेकिन वह सौदेबाजी के मार्ग से हुआ. इस समझौते के कारण कर्नाटक के बाहर की जनता को पता चलाकि, शेट्टर और येदियुरप्पा लिंगायत है; और सदानंद गौडा और नए एक उपमुख्यमंत्री और पार्टी केअध्यक्ष ईश्‍वरप्पा किसी पिछड़ी जाति के है. कहा जाता है कि लिंगायतों की संख्या १७ प्रतिशत है. १७प्रतिशत ही न? ५१ प्रतिशत तो नहीं! क्या सौ प्रतिशत लिंगायत येदियुरप्पा के अनुयायी है? अन्यराजनीतिक पार्टियों में भी लिंगायत होगे ही. चुनाव में उम्मीदवार निश्‍चित करते समय, संबंधित मतदारसंघ में की जनता के स्वरूप का विचार करना पड़ता है, यह मान्य लेकिन, क्या केवल जाति ही देखीजाती है? गुणवत्ता नहीं देखी जाती? हम न येदियुरप्पा को पहचानते है, न सदानंद गौडा या जगदीश को,न ईश्‍वरप्पा से हमारा परिचय है. उनके बारे में बैर का भाव होने का तो कारण ही नहीं. लेकिन येसब, जाति के आधार पर किए समझौते में के पात्र है. संकुचित, जातिनिष्ठ, स्वार्थी और मतलबीराजनीति के आरोपों से वे छूट नहीं सकते. फिर वे कितने ही बड़े पद पर विराजमान क्यों न हो. इससमझौते ने और एक बात अधोरेखित की है कि, एक वर्ष बाद होने वाले विधानसभा के चुनाव मेंउम्मीदवार निश्‍चित करते समय, यही जाति सापेक्ष निकष रहेगा और गुणवत्ता को गौणत्व प्राप्त होगा.

आमूलाग्र विचारों की आवश्यकता
भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने इस परिस्थिति का गंभीरता से और आमूलाग्र विचार करने की आवश्यकता है.पार्टी, कार्यकर्ता-आधारित (cadre based) होनी चाहिए. स्वार्थी, पदलोलुप व्यक्तियों के आधार परचलने वाली नहीं. इसके लिए आवश्यक हो, तो पार्टी के संविधान का भी पुनर्विचार होना चाहिए. पार्टी केसब व्यवहारों में संगठन का पक्ष (organizational wing) अधिक शक्तिशाली होना चाहिए और वैसादिखना भी चाहिए. और विधायिका पक्ष (Legislative wing) उसके मार्गदर्शन में काम करने वालाहोना चाहिए. तब ही सत्ता-पदों पर आरूढ व्यक्तियों को अपने पार्टी के मौलिक अधिष्ठान का औरवैशिष्ट्यपूर्ण आचरण-शैली का भान रहेगा. इसके लिए सब स्तर के संगठन में के एकक में, चुनाव लढ़नेकी स्पर्धा में न रहने वाले व्यक्तियों को प्रमुख स्थान रहना चाहिए. तब ही संगठन को नैतिक शक्ति प्राप्तहोगी. यह भान रखकर, पार्टी चलेगी, तो ही वह सब से अलग पार्टी (a party with difference)यह अपनी पहचान जनता के मन पर अंकित कर सकेगी. अन्यथा, लोग यही समझेंगे – और उनमेंहिंदुत्वनिष्ठों का भी अंतर्भाव है – कि, भाजपा भी अनेक राजनीतिक पार्टियों के समान ही है. अधिष्ठानऔर जीवनमूल्य न होने वाली, और सत्ता के लिए सब समझौते करने वाली.

– मा. गो. वैद्य

  • email
  • facebook
  • twitter
  • google+
  • WhatsApp

Related Posts

Articles

ಮಾತಿನ ಕಠಿಣ ಕ್ರಮ, ಇನ್ನೆಷ್ಟು ದಿನ?

July 28, 2022
Articles

ದೇಶದ ಸುರಕ್ಷತೆಗಾಗಿ ಅಗ್ನಿಪಥ!

June 18, 2022
Articles

ಪಠ್ಯಪುಸ್ತಕಗಳು ಕಲಿಕೆಯ ಕೈದೀವಿಗೆಯಾಗಲಿ

Articles

ಒಂದು ಪಠ್ಯ – ಹಲವು ಪಾಠ

May 27, 2022
Articles

ಹಿಂದೂ ಧಾರ್ಮಿಕ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮಗಳಲ್ಲಿ ಅನ್ಯಮತೀಯರ ಆರ್ಥಿಕ ಬಹಿಷ್ಕಾರ : ಒಂದು ಚರ್ಚೆ

March 25, 2022
Articles

ಡಿವಿಜಿಯವರ ವ್ಯಾಸಂಗ ಗೋಷ್ಠಿ

March 17, 2022
Next Post
ಶ್ರೀ ಬಾಳಾ ಆಪ್ಟೆಯವರ ನಿಧನಕ್ಕೆ ಆರೆಸ್ಸೆಸ್ ಸರಸಂಘಚಾಲಕ ಮೋಹನ್ ಭಾಗವತ್‌ರ ಶೋಕ ಸಂದೇಶ

ಶ್ರೀ ಬಾಳಾ ಆಪ್ಟೆಯವರ ನಿಧನಕ್ಕೆ ಆರೆಸ್ಸೆಸ್ ಸರಸಂಘಚಾಲಕ ಮೋಹನ್ ಭಾಗವತ್‌ರ ಶೋಕ ಸಂದೇಶ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

POPULAR NEWS

ಸಾಮಾಜಿಕ ಕ್ರಾಂತಿಯ ಹರಿಕಾರ ರಾಜಾ ರಾಮ್ ಮೋಹನ್ ರಾಯ್

May 22, 2022

ಒಂದು ಪಠ್ಯ – ಹಲವು ಪಾಠ

May 27, 2022
Profile of V Bhagaiah, the new Sah-Sarakaryavah of RSS

Profile of V Bhagaiah, the new Sah-Sarakaryavah of RSS

March 16, 2015
ಕವಿ ಶ್ರೇಷ್ಠ ಎಂ. ಗೋಪಾಲಕೃಷ್ಣ ಅಡಿಗರ ‘ವಿಜಯನಗರದ ನೆನಪು’ ಕವನದ ಕುರಿತು…

ಕವಿ ಗೋಪಾಲಕೃಷ್ಣ ಅಡಿಗರ ಬದುಕು ಮತ್ತು ಬರಹ : ವಿಶೇಷ ದಿನಕ್ಕೆ ವಿಶೇಷ ಲೇಖನ

February 18, 2021

ಟೀ ಮಾರಿದ್ದ ನ್ಯಾಯಾಲಯದಲ್ಲೇ ವಕೀಲೆಯಾದ ಛಲಗಾತಿ!

March 8, 2022

EDITOR'S PICK

RSS leader T Venkataswamy passes away

RSS leader T Venkataswamy passes away

September 14, 2010
RSS revises Karnataka State team at ABPS Meet Nagpur; Sudhir, New Pranth Pracharak

RSS revises Karnataka State team at ABPS Meet Nagpur; Sudhir, New Pranth Pracharak

March 24, 2015
Our existence as Rashtra is based on Sanskriti and people, which is unique and entirely different from the nation-state concept : Dr. Mohan Bhagwat

Our existence as Rashtra is based on Sanskriti and people, which is unique and entirely different from the nation-state concept : Dr. Mohan Bhagwat

September 30, 2017
ಹುಬ್ಬಳ್ಳಿ : ವಿಶ್ವ ಸಮಿತಿ ಶಿಕ್ಷಾ ವರ್ಗ 2012ಕ್ಕೆ ಚಾಲನೆ; 7 ದೇಶಗಳ 52 ಪ್ರತಿನಿಧಿಗಳು ಭಾಗಿ

ಹುಬ್ಬಳ್ಳಿ : ವಿಶ್ವ ಸಮಿತಿ ಶಿಕ್ಷಾ ವರ್ಗ 2012ಕ್ಕೆ ಚಾಲನೆ; 7 ದೇಶಗಳ 52 ಪ್ರತಿನಿಧಿಗಳು ಭಾಗಿ

July 27, 2012

Samvada ಸಂವಾದ :

Samvada is a media center where we discuss various topics like Health, Politics, Education, Science, History, Current affairs and so on.

Categories

Recent Posts

  • ಬೆಂಗಳೂರು‌ ಮಳೆ‌ ಅವಾಂತರ – ಕ್ಷಣಿಕ ಪರಿಹಾರಕ್ಕಿಂತ ಶಾಶ್ವತ ಪರಿಹಾರ ದೊರೆಯಲಿ!
  • RSS Sarkaryawah Shri Dattareya Hosabale hoisted the National Flag at Chennai
  • ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯೋತ್ಸವದ ಅಮೃತ ಮಹೋತ್ಸವ – ಸಾಮರಸ್ಯದ ಸಮಾಜದಿಂದ ಮಾತ್ರವೇ ದೇಶ ಬಲಿಷ್ಠವಾಗಲು ಸಾಧ್ಯ! – ದತ್ತಾತ್ರೇಯ ಹೊಸಬಾಳೆ
  • ಬಿಸ್ಮಿಲ್, ರಿಝಾಲ್ ಮತ್ತು ಬೇಂದ್ರೆ
  • About Us
  • Contact Us
  • Editorial Team
  • Errors/Corrections
  • ETHICS POLICY
  • Events
  • Fact-checking Policy
  • Home
  • Live
  • Ownership & Funding
  • Pungava Archives
  • Subscribe
  • Videos
  • Videos – test

© samvada.org - Developed By eazycoders.com

No Result
View All Result
  • Samvada
  • Videos
  • Categories
  • Events
  • About Us
  • Contact Us

© samvada.org - Developed By eazycoders.com

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In